Kalki 2898 AD Review: अब तक 500 करोड कमा चुकी कल्कि, यदि बी आर चोपड़ा की ‘महाभारत’का अंतिम दृश्‍य देखा है और दो घंटे का धैर्य है तो ही देखें ‘कल्कि 2898 एडी’, क्‍योंकि अंतिम एक घंटे में समझ आएगी फिल्म की पार्ट 2 क्‍यों देखना है… बस यह गारंटी है कि 2 पार्ट रिकार्ड तोडने वाला होगा

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Kalki 2898 AD Review: Kalki has earned 500 crores so far, if you have seen the last scene of BR Chopra’s ‘Mahabharat’ and have the patience for two hours, then only watch ‘Kalki 2898 AD’, because in the last one hour you will understand why you have to watch part 2 of the film… it is just guaranteed that part 2 will be a record breaker

फिल्म रिव्‍यू बाय सिटी हेराल्‍ड 
अमिताभ बच्‍चन और कुछ हद तक प्रभास की फिल्म कल्कि 2898 एडी पार्ट 01, सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है. फिल्म कमाई भी अच्‍छी कर रही है, अगर आप भी फिल्म देखने का प्लान बना रहे हैं तो पहले रिव्यू जरुर पढ़ लें.

Kalki 2898 AD Review: इस फिल्म को देखते हुए मुझे लगा कि ऑडियंस के लिए ये फिल्म समझना मुश्किल है, काफी मुश्किल है. कुछ दर्शकों का कहना है कि फिल्म की एनिमेशन और वीएफएक्स देखकर कहा कि बच्चों को लाना चाहिए था और कुछ का अगर बच्‍चों और बीबी को ले आता तो वो पूछते – कहां ले आए. कई लोगों को यह फिल्म समझ ही नहीं आई। बावजूद मीडिया रिपोर्टस के मुुुुुुताबिक यह मूवी 500 करोड रुपये अब तक कमा चुकी है।

यदि इस मूवी को समझना है तो महाभारत का ज्ञान होना आवश्‍यक शर्त है, और यदि बी आर चोपड़ा की ‘महाभारत’का अंतिम दृश्‍य देखा है और दो घंटे का धैर्य है तो‘कल्कि 2898 एडी’ देखने जाएं, क्‍योंकि अंतिम एक घंटे में फिल्म समझ आएगी और यह भी समझ आएगा कि पार्ट 2 क्‍यों देखना है… बस यह गारंटी है कि पार्ट 2 रिकार्ड तोडने वाला होगा।

ऐसे होती है कहानी की शुरुआत-
फिल्म ‘कल्कि 2898 एडी’ भारतीय पौराणिक कथाओं में दिलचस्पी जगाने का एक नेक काम बड़ी शिद्दत से करती है। जिनका धर्म-कर्म से वास्ता नहीं रहा है, उनको ये फिल्म बिल्कुल भी समझ नहीं आएगी। अब आगे बढते हैं महाभारत युद्ध के अलावा, आपको पता होना चाहिए कि अर्जुन के गांडीव की शक्ति क्‍या थी। एक ही मां से जन्मने के बाद भी सूतपुत्र कहलाया कर्ण अपने इस भाई से हर कौशल में बेहतर था, ये पता होना भी जरूरी है। पता होना ये भी जरूरी है कि जिन कृष्ण के सामने द्रोणाचार्य और कर्ण दोनों का छल से वध हुआ, उन्होंने ही द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा को मृत्यु का दंड देकर मुक्ति नहीं दी, बल्कि जीवित रहने का श्राप देकर तिल तिल गलने के लिए अनंत काल तक धरती पर छोड़ दिया। इस कहानी में नया जानने को यह मिलता है कि महाभारत में कौरव और पांडवों के युद्ध के बाद अश्वत्थामा को श्रीकृष्ण श्राप देते हैं, जिसमें वो कहते हैं कि वो जिंदा रहेगा और कलयुग में जब पाप बढ़ जाएगा तो उसको खत्म करने के लिए फिर भगवान को जन्म होगा और तुम्हें उसकी रक्षा करनी होगी.

यहीं से कहानी शुरु है, फिर कहानी कई हजार साल आगे जाती है. सबसे पहले और पुराने शहर काशी में ,वहां सुप्रीम यास्किन यानि वहां का डॉन फर्टाइल लड़कियों को अलग से बंदी बनाकर रखता है. वो एक ऐसी प्रेग्नेंट लड़की ढूंढ रहा है जिसका DNA उसे फिर से ताकतवर बना दे. वो बच्चा सुमति यानि दीपिका पादुकोण के गर्भ में पल रहा है. अश्वत्थामा यानि अमिताभ बच्चन उसे बचाना चाहता है, भैरवा यानि प्रभास सुमति को यास्किन को देना चाहता है क्योंकि वो उसकी बाउंटी यानि ईनाम है. इसके बदले उसे पैसे मिलेंगे जिससे वो यास्किन को कॉम्पलैक्स में ले जा सके. कहानी में एक कॉम्पलैक्स का जिक्र और ये कहानी अपने आप में काफी कॉम्पलैक्स है. दिमाग पर काफी जोर लगाना पड़ता है तब भी समझ नहीं आती और ऐसा लगता है जैसे दिमाग में हार्ट अटैक आ जाएगा.

कैसी है फिल्म
शुरू में फिल्म समझ ही नहीं आती कि हो क्या रहा है और क्यों हो रहा है और हम ये फिल्म देखने क्यों आए. बस सब चल रहा होता है और आप आसपास के लोगों से पूछ रहे होते हैं कि कुछ समझ आया. काफी देर बाद इंटरवल हो जाता है, इस बीच शायद आप थोड़ी नींद भी ले लें. इंटरवल के बाद फिल्म थोड़ी बेहतर होती है, अच्छे वीएफएक्स दिखते हैं, ग्रैड स्कैल दिखता है, और आखिरी के 35 मिनट में आपको लगता है कि फिल्म में कुछ है. वर्ना पूरी फिल्म जेल लगती है, समझ से परे लगती है. अगर आपको माइथोलॉजी की जानकारी है तो शायद फिल्म आपकी समझ में आसानी से आए लेकिन फिल्म हम दिमाग पर इतना ज्यादा जोर डालने के लिए नहीं देखने जाते, एंटरटेनमेंट के लिए जाते हैं. जो यहां बहुत कम मिलता है, कुछ ही सीन ऐसे हैं जो देखने में थोड़े अच्छे लगते हैं. वो भी अमिताभ बच्चन के, बाकी ये फिल्म देखकर ऐसा ही लगता है जैसे आपके साथ कोई हादसा हो गया है. पार्ट 2 में शायद कहानी ठीक से समझ में आए और ये फिल्म लोगों को भाए लेकिन ये पार्ट तो काफी एवरेज है.

एक्टिंग
अमिताभ बच्चन की एक्टिंग शानदार है, उन्हीं के लिए ये फिल्म देखी जा सकती है. वो हर सीन में दमदार लगते हैं, और इस फिल्म की सबसे अच्छी चीज उन्हीं की एक्टिंग है. प्रभास ने निराश किया है, वो क्या कर रहे हैं समझ नहीं आता, कभी वो किसी कार्टून कैरेक्टर की तरह नाचना शुरू कर देते हैं तो कभी चिल्लाना, ना वो एक्सप्रेशन दे पाए हैं. दीपिका ने ये फिल्म क्यों की ये भी समझ नहीं आया क्योंकि उनके करने के लिए इसमें कुछ था नहीं. इस फिल्म में उन्हें वेस्ट कर दिया गया है. कमल हासन का काम अच्छा है लेकिन उनके पास करने को ज्यादा कुछ नहीं था. फिल्म में कई कैमियो हैं, विजय देवराकोंडा से लेकर, एस एस राजमौली, मृणाल ठाकुर से लेकर ब्रह्मानंदम, राम गोपाल वर्मा से लेकर दिशा पाटनी, और सोचिए फिल्म में पहली बार दिलचस्पी रामू और दिशा के कैमियो से आती है लेकिन ये सारे कैमियो कोई खास असर नहीं छोड़ पाते.

डायेरक्शन
नाग अश्विन का विजन बड़ा है, स्केल बड़ा है, स्टारकास्ट बड़ी है, बजट बड़ा है लेकिन कहानी को पेश करने का तरीका एंटरटेनिंग नहीं है. कहानी ऐसी नहीं होनी चाहिए कि दर्शक को समझ ही नहीं आए. यहां ऐसा ही होता है, शुरुआत इतनी खराब है कि आप फिल्म छोड़कर जाने का सोचते हैं. नाग अश्विन का डायरेक्शन एवरेज है, उन्हें फिल्म में और मसाले डालने चाहिए थे, इसे सिंपल बनाना चाहिए था. 

कुल मिलाकर इस फिल्म को देखकर एंटरटेन होंगे लेकिन आखिर में, वो भी थोड़ा सा, और अगर इसके लिए और अमिताभ बच्चन के लिए आप ये फिल्म देखना चाहें तो देख सकते हैं.

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