
MP News: मध्य प्रदेश कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री आरिफ अकील का निधन, लंबे समय से बीमार थे
सिटी हेराल्ड, भोपाल। आरिफ अकील पूर्व कैबिनेट मंत्री भी रहे थे। उन्हें कांग्रेस के धाकड़ नेताओं में गिना जाता था। हृदय की बीमारी के चलते आरिफ अकील को भोपाल के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्होंने अपोलो अस्पताल में अंतिम सांस ली।
उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष ही आरिफ अकील को हृदय संबंधी बीमारी हुई थी। इसके बाद उनकी सर्जरी करनी पड़ी थी। गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में उनका ऑपरेशन किया गया था। इसके बाद उन्होंने खुद चुनाव लड़ने की बजाय अपने बेटे आतिफ को चुनावी मैदान में उतारने की बात कही थी। बेटे के चुनाव प्रचार में भी अस्वस्थ होने के बावजूद में शामिल हुए थे।
आरिफ अकील के विधायक पुत्र आतिफ के अनुसार कल शाम सीने में दर्द के बाद उनके पिता को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। आज सुबह उनका इंतकाल हुआ।
आरिफ अकील 1990 में भोपाल उत्तर विधानसभा सीट से विधायक चुने गए थे। वे इस सीट से निर्दलीय चुनाव लड़े थे। सन 1998 से लेकर 2018 तक इस सीट पर आरिफ अकील ही जीतते रहे। इस सीट से 6 बार विधायक रहने के बाद इस बार उनके बेटे इस सीट से जीते। कमल नाथ सरकार में वे मंत्री रहे। उन्हें अल्पसंख्यक वर्ग के कल्याण के लिए लगातार कार्य किए।
सोमवार सुबह जहां राजधानी का आसमान बूंदों भरे बादलों से लबरेज था, वहीं शहर की छाती पर एक मुश्किल भरी खबर भी रखी हुई थी। शेर ए भोपाल के लकब से पहचाने जाने वाले पूर्व मंत्री आरिफ अकील वैसे तो पिछले कई दिनों से बीमारी की आगोश में समाए हुए थे। रविवार सुबह तबीयत ज्यादा खराब होने के बाद उन्हें भोपाल के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया। देर शाम तक उनकी बिगड़ती हालात के चलते उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया। रात होते होते खबर आई कि शेर ए भोपाल को बीमारी ने पस्त कर दिया। हालांकि देर तक इस खबर की अधिकृत पुष्टि नहीं हो पा रही थी। सोमवार अल सुबह करीब साढ़े पांच बजे उनके इंतकाल की खबर पर अंतिम मुहर लग गई। उनके करीबियों और पारिवारिक सूत्रों ने अकील के इंतकाल की आधिकारिक पुष्टि कर दी है।
राजधानी भोपाल की उत्तर विधानसभा से लगातार 40 साल तक सियासत करने वाले आरिफ अकील कांग्रेस शासनकाल में दो बार मंत्री भी रहे हैं। एक अलग अंदाज की राजनीति करने वाले अकील ने अल्पसंख्यक कल्याण, जेल, खाद्य जैसे महत्वपूर्ण विभागों का जिम्मा संभाला। उत्तर विधानसभा पर एकक्षत्र साम्राज्य स्थापित करने वाले अकील ने सियासत के शुरुआती दौर में जनता दल से भी चुनाव लड़ा। इसके बाद कांग्रेस के साथ सियासी सीढ़ियां चढ़ते हुए उन्होंने भाजपा के कई दिग्गजों को चुनावी मैदान में परास्त किया। भाजपा शासनकाल में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा उत्तर विधानसभा को गोद ले लिए जाने का असर भी अकील के मजबूत किले को नहीं डिगा पाई।