
दिव्यांशु जायसवाल, सिटी हेराल्ड।
बांग्लादेश में दो महीने से चल रहे आरक्षण विरोधी छात्र आंदोलन के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना ने 5 अगस्त को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफे के बाद, उन्होंने देश छोड़कर ढाका से अगरतला होते हुए भारत की यात्रा की। उनका C-130 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट शाम 6 बजे गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर उतरा। यहां से वे लंदन, फिनलैंड या अन्य देशों की ओर जा सकती हैं। एयरबेस पर सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने उनके साथ लगभग एक घंटे की मुलाकात की। शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद बांग्लादेश के सेना प्रमुख ने घोषणा की कि एक अंतरिम सरकार का गठन किया जाएगा और आंदोलन के दौरान मारे गए लोगों को न्याय दिलाया जाएगा।
इस तरह के आंदोलन बांग्लादेश के इतिहास में पहली बार नहीं हुए हैं। इससे पहले, जुलाई 2022 में श्रीलंका में भी राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे की सरकार के खिलाफ हिंसक आंदोलन हुआ था, जिसमें लोग राष्ट्रपति भवन तक पहुंच गए थे।
शेख हसीना, जो पहले दुनिया के प्रभावशाली नेताओं में गिनी जाती थीं और बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था को बदलने वाली मानी जाती थी, अब उन्हें खुद अपने ही देश को छोड़कर भागना पड़ा। उनकी 15 साल की सत्ता की समाप्ति की कहानी 5 जून 2024 को ढाका हाईकोर्ट के फैसले से शुरू हुई। इस फैसले के कारण उन्होंने 15 साल की सत्ता गंवा दी, और इसके पीछे तीन प्रमुख कारण रहे:
पहला कारण: ढाका हाईकोर्ट का आरक्षण पर फैसला
बांग्लादेश में 1971 से आरक्षण प्रणाली लागू है। उस समय स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों के लिए 30%, पिछड़े जिलों के लिए 40% और महिलाओं के लिए 10% आरक्षण था, जबकि सामान्य छात्रों के लिए केवल 20% सीटें थीं। समय के साथ, आरक्षण का प्रतिशत बढ़ता और घटता रहा, और 2018 में हसीना सरकार ने कोटा सिस्टम को समाप्त कर दिया। लेकिन 5 जून 2024 को ढाका हाईकोर्ट ने इस कोटा प्रणाली को बहाल करने का आदेश दिया, जिससे सामान्य वर्ग के छात्रों में आक्रोश फैल गया और वे सड़कों पर उतर आए।
दूसरा कारण: प्रदर्शनकारियों को गद्दार कहे जाने से बढ़ा विरोध
प्रधानमंत्री शेख हसीना ने 14 जुलाई को प्रदर्शनकारी छात्रों को ‘रजाकार’ यानी गद्दार कहकर अपमानित किया, जिससे विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया। प्रदर्शनकारी छात्रों ने सरकारी चैनल में आग लगा दी और सड़कों पर बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किया। यह विवाद और भी बढ़ गया जब हसीना ने प्रदर्शनकारियों को अपमानित करने के लिए उनका विरोध बढ़ाने का काम किया।
तीसरा कारण: छात्रों की मौत पर चुप्पी और मेट्रो स्टेशन पर आंसू
25 जुलाई को मीरपुर-10 मेट्रो स्टेशन पर शेख हसीना ने नुकसान को देखकर आंसू बहाए, लेकिन प्रदर्शन में मारे गए 200 से अधिक छात्रों की मौत पर उन्होंने कुछ नहीं कहा। प्रदर्शनकारियों को जेल में बंधक बना कर जबरदस्ती वीडियो बनवाए गए, जिससे आंदोलन और भड़क गया। इन घटनाओं ने बांग्लादेश में व्यापक विरोध और असंतोष पैदा किया, जिससे शेख हसीना की सरकार की स्थिति कमजोर हो गई और अंततः उन्होंने इस्तीफा देने का निर्णय लिया।