
सिटी हेराल्ड, इटारसी। न्यायालय इटारसी से वर्ष 2025 की पहली बडी खबर आ रही है। कोर्ट ने नगरपालिका इटारसी में पदस्थ बाहुबली अफसर संजीव श्रीवास्तव और सर्विस प्रोवाइडर राजा सैफी को 7-7 साल की सजा दी है और 50-50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। आपको बता दें कि धारा 467 के तहत 7 साल की सजा और 50-50 हजार रुपये जुर्माना और धारा 420, 471, 120 बी और 469 के तहत 5-5 साल की सजा और 50-50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। आपको बता देंं कि प्रत्येक धारा में 50 हजार रुपये का जुर्माना है। इस तरह दोनों अपराधियों पर ढाई -ढाई लाख रुपये का जुर्माना हुआ है। आपको बता दें कि शनिवार को ही कोर्ट के आदेश से जेल भेज दिया गया था। वहीं दो अन्य अफसरों तत्कालीन सीएमओ अक्षत बुंदेला और उप रजिस्ट्रार आनंद पांडेय के गिरफतारी वारंट जारी किए गए थे।
उल्लेखनी है कि इटारसी नगरपालिका परिषद के वर्ष 2015 से 2019 के कार्यकाल में न्यास कॉलोनी में एक सार्वजनिक प्रयोजन की जमीन को प्लॉट बनाकर फर्जी रसीदों और रजिस्ट्री के सहारे बेचने के मामले में कोर्ट ने अपना निर्णय सुना दिया है। यह शासकीय भूमि प्लॉट बताकर सराफा व्यवसायी को वर्ष 2018 में नगरपालिका के एक सहायक राजस्व निरीक्षक ने सर्विस प्रोवाइडर के परिजन के सहयोग से बेची थी। मामला कोर्ट में जाने के बाद पुलिस थाने में प्रकरण भी दर्ज हुए थे। कोर्ट ने सोमवार को दिए निर्णय में एआरआई संजीव श्रीवास्तव(ARI SANJEEV SHRIVASTAV), सर्विस प्रोवाइडर के परिजन राजा सैफी(RAJA SAIFEE) को दोषी माना है।
वर्ष 2018 में हुई थी रजिस्ट्री
सराफा व्यवसायी शंकर रसाल ने अपनी शुभांगी रसाल के नाम से न्यास कॉलोनी में एक प्लॉट 81 ए (PLOT 81 A) इटारसी नगरपालिका से खरीदा था। इसकी रजिस्ट्री 20 मार्च 2018 को हुई थी। इसके लिए रसाल परिवार ने रजिस्ट्री मिलाकर कुल 12 लाख रुपए का भुगतान किया था। इससे पहले की प्रक्रिया के तहत नगरपालिका के तत्कालीन सहायक राजस्व निरीक्षक संजीव श्रीवास्तव ने शुभांगी रसाल के नाम से 1083और 1091 रसीदें देकर 1.50लाख-1.50 लाख रुपए जमा कराए थे। इसके बाद उन्हें प्राधिकार पत्र और बाद में अधिपत्य पत्र राजा सैफी के माध्यम से बनवाकर दिए गए थे। कुछ माह बाद जब उन रसीदों के फर्जी होने की जानकारी सामने आई थी तो प्लॉट क्रेता ने इसकी शिकायत पुलिस थाने में की थी। पुलिस ने वर्ष 2019 में इस मामले में तत्कालीन आरआई संजीव श्रीवास्तव, राजा सैफी पर प्रकरण दर्ज किया था और अन्य लोगों के खिलाफ विवेचना जारी थी।
यह तथ्य सामने आए
मामले में जब जांच हुई तो कोर्ट के समक्ष यह तथ्य आए कि जो प्राधिकार पत्र प्लॉट क्रेता को दिया गया था उसकी नगरपालिका कार्यालय के आवक-जावक रजिस्टर और रजिस्ट्रार कार्यालय के रजिस्टर में कोई एंट्री नहीं थी। इसी तरह अधिपत्य पत्रक की आवक-जावक में कोई एंट्री नहीं थी। इस प्लॉट विक्रय से जुड़ी नोटशीट का भी कोई उल्लेख कोर्ट के सामने नहीं आया। कुल मिलाकर अपने पदों का दुरुपयोग करते हुए इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया गया था। पूरे मामले में सुनवाई और तथ्यों के आधार पर कोर्ट ने तत्कालीन एआरआई संजीव श्रीवास्तव और राजा सैफी को इस मामले में दोषी माना है और आदेश सुरक्षित रख लिया है। दंड के प्रश्न पर आरोपीगणों/अधिवक्ताओं को सुनने के बाद 15 जनवरी 2025 को दंडादेश जारी किया जाएगा। वहीं तत्कालीन सीएमओ अक्षत बुंदेला और तत्कालीन उप पंजीयक आनंद पांडे की भी संलिप्तता कोर्ट ने इस पूरे फर्जीवाड़े में पाई है। कोर्ट ने 319(2 ) शक्तियों का प्रयोग करते हुए दोनों अधिकारियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। कोर्ट के आदेश के बाद सिटी पुलिस ने दोषी पाए गए दोनों लोगों को अभिरक्षा में लेकर उन्हें नर्मदापुरम जेल दाखिल करा दिया है।