
da vinci glow : शनिवार (11 मई) की शाम जब आप पश्चिम दिशा में शुक्ल पक्ष चतुर्थी के हंसियाकार चांद को देखेंगे तो आप पायेंगे कि हंसियाकार भाग तो तेज चमक के साथ है, लेकिन हल्की चमक के साथ पूरा गोलाकार चंद्रमा भी दिखाई दे रहा है।

da vinci glow : शनिवार (11 मई) की शाम जब आप पश्चिम दिशा में शुक्ल पक्ष चतुर्थी के हंसियाकार चांद को देखेंगे तो आप पायेंगे कि हंसियाकार भाग तो तेज चमक के साथ है, लेकिन हल्की चमक के साथ पूरा गोलाकार चंद्रमा भी दिखाई दे रहा है।
साल में सिर्फ दो बार दिखने वाली यह खगोलीय घटना के बारे में बताते हुये नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने बताया कि इसे अर्थ शाईन (earth shine) कहा जाता है। इस घटना में चंद्रमा का अप्रकाशित भाग दिखाई देता है।
इसे दा विंची चमक (da vinci glow) के नाम से भी जाना जाता है। लियोनार्डो द विंची ने पहली बार स्केच के साथ 1510 के आसपास अर्थशाईन की अवधारणा को रखा था। सारिका ने बताया कि चंद्रमा अपने तक पहुंचने वाले सूर्य के प्रकाश का लगभग 12 प्रतिशत परावर्तित करता है।
दूसरी ओर, पृथ्वी अपनी सतह पर आने वाले सभी सूर्य के प्रकाश का लगभग 30 प्रतिशत परावर्तित करती है। पृथ्वी का जब यह परावर्तित प्रकाश चंद्रमा पर पहुंचता है तो चंद्रमा की सतह के अंधेरे वाले भाग को भी रोशन कर देता है।
सारिका ने बताया कि विदेशों में इस खगोलीय घटना को अशेन ग्लो (ashen glow) या नये चंद्रमा की बांहों में पुराना चंद्रमा भी नाम दिया गया है। आज जब आप चंद्रमा को देखें तो याद रखें उसे चमकाने में उस पृथ्वी का भी योगदान है जिस पर आप खड़े हैं।