
- – शुक्रवार को प्रारंभ हुई कथा पूर्व निकली शोभायात्रा, पहुंचे हजारों श्रद्धालु
- – शनिवार को कथा सुनने पहुंचे बडी संख्या में ग्रामीण
सिटी हेराल्ड, इटारसी।
ग्राम सनखेडा शिवमय हो गया है। पशुपतिनाथ धाम इटारसी वाले महाराज कथावाचक पंडित मधुसूदन महाराज यहां शिव पुराण की कथा कर रहे हैं। हनुमान धाम वाटिका कथा स्थल सनखेडा में कथा को सुनने के लिए सैकडों की तादात में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। पवित्र ग्राम सनखेडा में शुक्रवार से कथा प्रारंभ हुई, पहले दिन शोभा यात्रा निकली, जिसमें हजारों ग्रामीण शामिल हुए। शिवपुराण की मुख्य कथा का शनिवार को द्वितीय दिन था। कथावाचक मधुसूदन महाराज ने विधिवत रूप से पूजा अर्चना की। इसके बाद व्यास गद्दी पर बैठकर सबसे पहले पंचाक्षर ओम नमः शिवाय का जाप किया और कथा कहना शुरू किया। पंडित मधुसूदन महाराज के मंच पर आते ही आयोजक परिवार साई डीजे सनखेडा, यजमान लक्ष्मीनारायण चौरे, श्रीमती किरण चौरे, शिवनारायण चौरे, श्रीमती राजमणी चौरे, रुपेश चौरे, श्रीमती अनुराधा चौरे, शेखर चौरे व समस्त बडकुर परिवार ने महाराज का भव्य स्वागत किया गया। शिव पुराण की कथा सनखेडा में 12 दिसम्बर तक आयोजित होगी। सनखेडा में शिव महापुराण की कथा स्व प्रेमदास बडकुर, स्व श्रीमती रामबाई बडकुर की स्मृति में दोपहर 1 बजे से शाम 4 बजे तक आयोजित हो रही है।
ऐसे हुई कथा की शुरुआत:
पंडित मधुसूदन महाराज ने कथा में कहा कि भगवान शिव को समर्पित 24 हजार श्लोकों का महासागर है, इसमें से छोटा सा अंश लेकर प्रयास करेंगे कि भगवान शिव शंकर की अविरल भक्ति को हम पा सकें। उन्होंने कहा कि 21 हजार 600 श्वास प्रतिदिन हमारे शरीर से निकल रही है। ध्यान करें कि इसमें से कितनी श्वास हम प्रभु की भक्ति, परिवार और अपने लिए लगा रहे हैं।
कथावाचक पंडित मधुसूदन महाराज ने कहा कि तस्वीर मोबाइल पर उसकी लगाओ, जिसने तुम्हारी तकदीर बदल दी है। उसी तरह अपने चित, मन, विचार, सोच और बुद्धि में उसकी शरणागति ग्रहण करो जो तुम्हारी तकदीर को बदलने का सामर्थ्य रखता है। वह कोई और नहीं हो सकता, वह केवल देवो के देव महादेव ही हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि जो शिव की आराधना करने वाला है, जो शिव तत्व में डूबने वाला है और जो भगवान शिव की शरणागति को दृढ़ करने वाला है, वह संसार सागर में कभी डूबता नहीं है।
कथा के द्वितीय दिवस कथावाचक पंडित मधुसूदन महाराज को सुनने के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं। श्रद्धालुओं में अधिकांश महिलाएं हैं। जिसको जहां जगह मिली, वह कथा सुनने के लिए बैठ गया।