
The central and state governments have cheated the farmers to steal their votes, farmers are upset due to non-purchase of moong: State Congress spokesperson
80 लाख मीट्रिक टन की बजाय 48 लाख मीट्रिक टन गेहूं की ही खरीद हो सकी है, जो लक्ष्य से 40 प्रतिशत कम : राजकुमार केलू उपाध्याय
सिटी हेराल्ड, इटारसी। मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी प्रवक्ता राजकुमार केलू उपाध्याय ने बयान जारी कर कहा कि यह बेहद चौंकाने वाली और गंभीर चिंता की बात है कि 80 लाख मीट्रिक टन के लक्ष्य की बजाय मप्र में इस बार लगभग सिर्फ 48 लाख मीट्रिक टन गेहूं की ही खरीद हो सकी है जो लक्ष्य से लगभग 40 प्रतिशत कम है। उन्होंने कहा कि वैसे तो मप्र में लगभग 15.46 लाख किसानों ने गेंहू बेंचने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था, लेकिन 6.13 लाख के लगभग किसानों ने ही सरकारी केंद्रों पर गेहूं बेचा,क्या लापरवाही,कमजोरी ऐसा क्यों ?
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता राजकुमार केलू उपाध्याय ने कहा कि यह मीडिया रिपोर्ट ऐसे समय पब्लिक डोमेन में आई जब केंद्रीय कृषि मंत्री भी मध्यप्रदेश में ,बीते 4 सालों में पंजाब के साथ गेहूं खरीद में टॉप 2 में रहा मध्यप्रदेश इस साल तीसरे स्थान पर खिसक गया है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता राजकुमार केलू उपाध्याय ने कहा कि सच्चाई यह है कि प्रदेश की भाजपा सरकार ने गेहूं का समर्थन मूल्य 2,700 रुपए प्रति क्विंटल करने का वादा किया, तो लाखों रजिस्ट्रेशन हो गए। इतना ही नहीं भाजपा को वोट नहीं देने वाले किसानों को भी उम्मीद थी कि इस बार उनका भला होगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। लेकिन 125 रुपए बोनस के साथ जब खरीदी मूल्य 2,400 रुपए प्रति क्विंटल ही रहा, तो नाराज किसान मंडियों में चले गए।किसानों के प्रति इसे केंद्र की भाजपा सरकार की राजनीतिक धोखाधड़ी और वोट लूटने की रणनीति बताया है।
श्री उपाध्याय ने कहा कि जानकारों का यह भी कहना है कि रजिस्ट्रेशन फरवरी के अंत में शुरू हुए, लेकिन बोनस की घोषणा मार्च के दूसरे हफ्ते में हुई, देरी और इस वादाखिलाफी के बाद ही नाराज किसान मंडियों का रुख करने लगे। तब विपक्ष ने सरकार को चेताया, किंतु सरकार सोई रही। मध्यप्रदेश सरकार से यह पूछा जाना चाहिए कि वह क्यों भूल गई कि खरीदी भी 20 मार्च के बाद शुरू हुई, जबकि कई क्षेत्र में एक हफ्ते पहले ही गेहूं की फसल बाजार में आ जाती है और नर्मदांचल,मालवा मध्यप्रदेश का एक बड़ा गेहूं उत्पादक इलाका है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता राजकुमार केलू उपाध्याय ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार को मध्यप्रदेश के किसानों से माफी मांगनी चाहिए व 2700 रूपए प्रति क्विंटल के हिसाब से बकाया भुगतान भी तुरंत करना चाहिए अन्यथा आने वाले समय में पूरे देश में खरीदी को लेकर मध्यप्रदेश की और ज्यादा किरकिरी होगी वहीं वर्तमान परिस्थिति में भी प्रदेश सरकार मूंग की फसलों का पंजीयन होने के लगभग एक माह होने पर भी खरीदी में देरी कर रही है किसानो की मूंग फसल बारिश पानी में गीली होने पर नुकसान हो रहा है जो प्रदेश सरकार की किसानों के प्रति उदासीनता दिखा रहा है।